आउट साइडर
:- मालती जोशी
प्रश्न
’आउट साइडर’ कहानी किस प्रकार की कहानी है ? कहानी में आए पात्रों का परिचय देते हुए बताइए कि, कहानी में लेखिका ने किस प्रकार की समस्या को उजागर
किया है तथा इसके माध्यम से उन्होंने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर
आउट साइडर ’ कहानी सामाजिक
परिवेश पर आधारित है। इसकी लेखिका मालती जोशी जी हैं। इन्होंने अनगिनत कहानियाँ बाल
कथाएँ तथा उपन्यास की रचना की है, जिनका अनुवाद भारतीय
और विदेशी भाषाओं में किया गया है। इनकी रचनाओं का रंगमंचन, रेडियो तथा दूरदर्शन पर भी किया गया है। आम बोलचाल की भाषा को
ही इन्होंने रचना में स्थान दिया। इनकी अन्य रचनाएँ हैं – परख, जीने की राह, दर्द का रिश्ता आदि हैं।
प्रस्तुत कहानी में परिवार
की सबसे बड़ी लड़की नीलम अपने पिता की आकस्मिक निधन के बाद नौकरी करके तथा अविवाहित रहकर
पूरे परिवार के भरण-पोषण का उत्तरदायित्तव निभाती है। नीलम एक कॉलेज में अध्यापन का
कार्य करती है। उसके तीन भाई हैं – सबसे बड़ा सुजीत (जीत) मझला सुदीप ( दीपू ) और सबसे
छोटा सुमित। पूनम उनकी छोटी बहन है, जिसके पति का नाम नरेश है। सुदीप कनाडा में काम करता है, सुजीत बैंक में काम करता है और सुमित मेडिकल कर
रहा है।
परिवार में सबसे छोटे भाई
की शादी के अवसर पर सभी एक-जुट होते हैं। शादी हो जाने के बाद सभी मिलकर नीलम को शादी
करने के लिए मनाते हैं। पैंतालीस साल की उम्र में जब नीलम को लगता है कि उसने अपनी
संपूर्ण जिम्मेदारियों को पूर्ण कर लिया, तब उसके दोनों भाई , उसकी बहुएँ ,
उसकी छोटी बहन और घर का दामाद भी उन्हें शादी करने
के लिए मजबूर करते हैं। नीलम जब शादी के प्रस्ताव को ठुकरा देती है, तो उसे पता लगता है कि सुदीप की पत्नी सुषमा से
सुजीत की पत्नी अलका अफ़सोस प्रकट करते हुए बड़े दुख के साथ कह रही थी कि, “ उसे मालूम था कि दीदी शादी करने से मना कर देंगी,
क्योंकि इतने दिनों तक वह घर में बॉसिंग करती रही
हैं, अब ससुराल की धौंस-डपट सहना
उनके बस की बात नहीं है।“ पूनम ने भी अपनी नीलम दीदी को जीवन की सच्चाई बताते हुए कहा
कि – “ दीदी तुमने इस घर को लाख इस ख़ून से सींचा हो, पर यह घर कभी भी तुम्हारा नहीं हो सकता है। तुम हमेशा इस घर
के लिए आउट साइडर ही रहोगी। अभी तुम्हारे पास नौकरी है, पर जब तुम रिटायर हो जाओगी तो तुम्हारी हैसियत इस घर में एक
फ़ालतु सामान की तरह रह जाएगी, तब तुम्हें मेरी बात
याद आएगी।“
नीलम ने अपनी छोटी बहन पूनम
की बात को गंभीरता से नहीं लिया। सुमित की शादी के लिए ली गई पंद्रह दिनों की छुट्टियाँ
जब समाप्त हो गई तो नीलम अपनी छुट्टियों को कुछ और दिनों के लिए बढ़ाने के उद्देश्य
से अपने कॉलेज गई तो उन्हें प्रमोशन के साथ उनके ट्रांस्फर की खबर उनके प्रिंसिपल ने
दी। परंतु, नीलम को अपने भाइयों के प्रेम
पर पूरा भरोसा था इसीलिए उसने इस प्रमोशन और ट्रांस्फर दोनों को ठुकरा दिया। उनकी यह
गलतफ़हमी थी कि उनके भाई उन्हें कभी भी अपने से दूर नहीं जाने देंगे। परंतु घर जाकर
जब उसने स्वयं अलका के मुख से सुना कि, उनका उस घर में रहना अलका को नहीं भाता है। उसका मानना था कि दीदी के रहते ,
वह घर कभी भी पूरी तरह से उसका नहीं हो सकता है
तथा दीदी के कारण ही उसे अपनी बहुत सी इच्छाओं का गला घोटना पड़ता है। नीलम को जब घर
में अपनी स्थिति की सही जानकारी होती है और उसे अपनी छोटी बहन पूनम की कही बात आज समझ
में आती है। नीलम एक संवेदनशील महिला थी परंतु वह एक जुझारू स्त्री भी थी। वास्तविकता
का बोध होते ही उसने परिवार से अलग होने का
निश्चय किया। नीलम ने अपना प्रमोशन और ट्रांस्फर दोनों स्वीकर कर लिया।
अतः हम देखते हैं कि जिस घर
के लिए नीलम ने अपने सपने, अपनी खुशियाँ और अपनी
ज़िंदगी लगा दी थी, उसी घर के लोगों ने
उन्हें आउट साइडर बना दिया था। नीलम एक स्वाभिमानी स्त्री थी, उसने उनसे पहले ही स्वयं को आउट साइडर बना लिया।
इस कहानी के माध्यम से लेखिका
ने समाज में अविवाहित स्त्रियों की त्रासदी को दिखाने का प्रयास किया है। लेखिका के
अनुसार समाज में जब कोई स्त्री पुरुषों की तरह अपने कंधों पर अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों
का बोझ उठाती है और निष्ठापूर्वक उसे निभाती है तो उसे घर का अधिपति नहीं वरन् आउट
साइडर ही माना जाता है। यह हमारे समाज की एक विकट समस्या है कि लड़की का घर,
जहाँ उसका जन्म हुआ है, वह कभी अपना नहीं होता। उसका ससुराल ही उसका घर होता है। अर्थात्
जिस लड़की की शादी न हो उसका कभी अपना घर ही नहीं होगा । वह हमेशा हर किसी के लिए आउट
साइडर ही होगी।
इस कहानी के माध्यम से लेखिका
ने यह संदेश दिया है कि इस पुरुष-प्रधान समाज में यदि एक स्वाभिमानी स्त्री चाहे तो
अपने आत्म-सम्मान को सदैव सुरक्षित रख सकती है।
(हिन्दी दर्पण ब्लॉग के सौजन्य
से)