प्रश्न :--मुन्नी नारी उत्पीड़न का जीता जागता उदाहरण है?पठित १० पाठों के आधार पर इसे प्रमाणित करें।
उत्तर :-- 'सारा आकाश' उपन्यास कि रचना सुप्रसिद्ध लेखक श्री राजेन्द्र यादव जी ने कि है,जिसे कुछ सुधारों के बाद 1959 में छापा गया।इस उपन्यास को राजेन्द्र यादव जी ने 1951 में ' प्रेत बोलतें हैं ' के नाम से प्रकाशित किया गया था।इसे कुछ सुधारों के बाद 1959 में नए शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया।
राजेंद्र जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक कवि ,लेखक,कहानीकार,संपादक और अनुवादक के रूप में प्रशिद्ध हुए।
उनके कुछ उपन्यास जैसे 'एक इंच मुस्कान' 'शह और मात' 'अनदेखे अनजाने पुल ' आदि प्रशिद्ध हैं।
राजेंद्र जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक कवि ,लेखक,कहानीकार,संपादक और अनुवादक के रूप में प्रशिद्ध हुए।
उनके कुछ उपन्यास जैसे 'एक इंच मुस्कान' 'शह और मात' 'अनदेखे अनजाने पुल ' आदि प्रशिद्ध हैं।
'सारा आकाश' उपन्यास में लेखक श्री राजेन्द्र जी नें स्त्री उत्पीड़न को दर्शनें के लिए 'मुन्नी' पात्र को गढा है। उन्होंने अपने उपन्यास के आधार समस्याओं में से दो एक तो बाल विवाह और दूसरा स्त्रियों का दहेज़ आदि के लिए शारीरिक तथा मानसिक शोषण का जिक्र है।
मुन्नी एक असहाय महिला के रूप में दिखाया है।भारत का समाज पुरुष प्रधान समाज है एवं स्त्रियां ही स्त्रियों को शारीरिक एवं मानसिक वेदना देती हैं।पुरुष अपनी पत्नी को अपनी जागीर समझतें हैं और उनपर अपना शासन चलतें हैं।इस उपन्यास में ऐसा ही प्रतीत होता है।मुन्नी ही सबसे अभागिन है।उसकी सोलह-सत्रह वर्ष की आयु में उसकी पढ़ाई छुड़ाकर शादी कर दि गई। ससुराल में उसपर बहुत जुल्म होते थे।मुन्नी के करुणा भरे खत आते थे।
उसकी सास और उसका पति उसपर अत्याचार क करते थे। उसके पति का चाल-चलन ठीक नहीं थे अर्थात वो चरित्रहीन था।उसकी सास की मृत्यु के बाद मुन्नी की मुसीबत और बढ़ गई, अब उसके पति को रोकने वाला कोई नहीं था।
ना जाने किसे घर में लाकर डाल दिया ,नौकरानी की तरह अपनी और अपनी रखैल की सेवा कराता था। दो दो तीन तीन दिन तक मुन्नी को खाना नही देता था। रात रात भर उसकी दोनो
हथेलियों पर खाट के पाए रखकर इसे कुढ़ाने और जलाने के लिए अपनी आनंद क्रीड़ा का प्रदर्शन करते और बेतों से पिटते थे।
मुन्नी एक असहाय महिला के रूप में दिखाया है।भारत का समाज पुरुष प्रधान समाज है एवं स्त्रियां ही स्त्रियों को शारीरिक एवं मानसिक वेदना देती हैं।पुरुष अपनी पत्नी को अपनी जागीर समझतें हैं और उनपर अपना शासन चलतें हैं।इस उपन्यास में ऐसा ही प्रतीत होता है।मुन्नी ही सबसे अभागिन है।उसकी सोलह-सत्रह वर्ष की आयु में उसकी पढ़ाई छुड़ाकर शादी कर दि गई। ससुराल में उसपर बहुत जुल्म होते थे।मुन्नी के करुणा भरे खत आते थे।
उसकी सास और उसका पति उसपर अत्याचार क करते थे। उसके पति का चाल-चलन ठीक नहीं थे अर्थात वो चरित्रहीन था।उसकी सास की मृत्यु के बाद मुन्नी की मुसीबत और बढ़ गई, अब उसके पति को रोकने वाला कोई नहीं था।
ना जाने किसे घर में लाकर डाल दिया ,नौकरानी की तरह अपनी और अपनी रखैल की सेवा कराता था। दो दो तीन तीन दिन तक मुन्नी को खाना नही देता था। रात रात भर उसकी दोनो
हथेलियों पर खाट के पाए रखकर इसे कुढ़ाने और जलाने के लिए अपनी आनंद क्रीड़ा का प्रदर्शन करते और बेतों से पिटते थे।
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