प्रश्न - समर और प्रभा के बीच होने वाली बात का सार अपने शब्दों में
लिखिए। प्रभा ने अपने विद्यार्थी
जीवन के बारे में समर को क्या बताया?
उत्तर -उपन्यासकार राजेन्द्र
यादव स्वातंत्र्योत्तर
हिन्दी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखते हैं। इन्होंने
एम०ए० हिन्दी की परीक्षा 1951 में आगरा विश्वविद्यालय से प्रथम
श्रेणी से उत्तीर्ण की। यादव जी का हिन्दी तथा उर्दू भाषा के अतिरिक्त
अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मनी आदि
भाषाओं पर भी जबरदस्त अधिकार था। राजेन्द्र यादव प्रेमचंद
से काफी प्रभावित थे। प्रेमचंद द्वारा संपादित प्रमुख
पत्र हंस का पुन: प्रकाशन 31 जुलाई 1986 को आरंभ किया।
उन्होंने अपने साहित्य में मानवीय जीवन के
तनावों और संघर्षों को पूरी संवेदनशीलता से जगह दी है।
दलित और स्त्री मुद्दों को साहित्य के केंद्र में लेकर आए।राजेन्द्र यादव की भाषा सहज, सुबोध, व्यावहारिक
तथा मुहावरायुक्त है। उनकी भाषा आम-जन की भाषा है। उनकी भाषा में तद्भव, तत्सम, देशज, अरबी-फ़ारसी तथा
अँग्रेजी शब्दावली की भरमार है।
प्रमुख रचनाएँ - उखड़े हुए लोग,
शह और मात, एक इंच
मुस्कान, छोटे-छोटे
ताजमहल, देवताओं की छाया में, जहाँ
लक्ष्मी कैद है, एक दुनिया समानान्तर आदि।
समर और प्रभा के बीच तब बातचीत शुरू होती है जब प्रभा को छत पर बाल धोने के लिए माँ और बाबू जी खरी-खोटी
सुनाते हैं और उसके चरित्र पर लाँछ्न लगाते है। यह आरोप प्रभा के लिए अत्यंत
कष्टदायक था। प्रभा रात के बारह बजे छत पर अकेली बैठी रोती है जिसे देखकर समर उससे
रोने की वजह पूछता है और उनदोनों के बीच एक वर्ष से चल
रही खामोशी का अंत होता है। उस रात दोनों एक-दूसरे से लिपटे रोते रहते हैं और सुबह
हो जाती है। अगले दिन इधर-उधर भटकने के बाद रात को समर प्रभा के समक्ष प्रश्नों की
झड़ी लगा देता है।
दाल में नमक तेज़ होने कारण बताते हुए प्रभा ने कहा कि जैसे ही वह सब्ज़ी छौंक कर थोड़ा इधर-उधर हुई भाभी ने मुट्ठी-भर नमक डाल दिया था। समर ने पूछा कि क्या उसने उन्हें डालते हुए देखा था। प्रभा ने कहा कि नहीं। मुन्नी बीबी जी ने डालते हुए देखा था और उन्होंने ही उसे बताया था। समर ने सोचा शायद मुन्नी ने इसीलिए उससे कहा था "भैया, भाभी से बोलना, उन्होंने कुछ भी नहीं किया..."
समर प्रभा से एक और प्रश्न पूछता है -"तुम पहले दिन हमसे क्यों नहीं बोली थीं? आने के दिन ही इतना बड़ा अपमान क्यों किया?"
प्रभा पुरानी बातों पर दोबारा सोचना नहीं चाहती थी लेकिन समर को जानने की बड़ी उत्सुकता थी। अत: प्रभा ने कहा कि पता नहीं समर को उस दिन अपना अपमान क्यों लगा क्योंकि प्रभा ने समर का कोई अपमान नहीं किया था। दरअसल, शादी की वजह से हफ्तों जागने की थकान थी, शरीर दर्द से टूट रहा था, तबीयत बहुत उदास थी। ज़रा-ज़रा सी देर के बाद घर की याद आती थी। फिर मुन्नी बीबी जी ने अपना किस्सा सुनाया तो मन और भी उदास हो गया। संयोग से उसी दिन खिड़की के ठीक सामने वाले घर में साँवल की बहू जल कर मर गई। बोलने का बिल्कुल ही मन नहीं कर रहा था, बस रोने की इच्छा हो रही थी। मुन्नी बीबी से पता चला कि तुम विवाह ही नहीं करना चाहते थे तो सारी हिम्मत समाप्त हो गई। ऐसे में क्या बात करती?
समर ने प्रभा से जानना चाहा कि भाभी और अम्मा जी उससे नाराज़ क्यों हैं। प्रभा ने कोई उत्तर नहीं दिया। फिर कुछ रुकर कहा कि शायद यह उनकी किस्मत में ही लिखा है। समर ने प्रभा को कसम दी कि वह जो भी जानना चाहता है उसे सच सच बता दे। प्रभा समर के उलझे बालों में अँगुलियाँ चलाती हुई बोली कि अम्मा-बाबूजी की नाराज़गी का कारण दहेज में कुछ न मिलना है। रुपया-पैसा, अच्छा ज़ेवर-कपड़ा कुछ भी तो नहीं ला पाई। ऐसी स्थिति में पढ़ी-लोखी होना भी एक दुर्गुण बन गया। मुन्नी बीबीजी ने खूब प्रचार किया कि भाभी भले दहेज कम लाई हैं पर देखने-सुनने में बड़ी बहू से लाख दरज़े अच्छी हैं। बस भाभी को नाराज़ करने के लिए ये बातें ही काफ़ी हैं।
समर को याद आया कि कल वह छत पर बैठी रो रही थी। उसने पूछा कि तुम कल रो क्यों रही थी? प्रभा ने बड़े कड़े स्वर में कहा - "मैं क्या, उस दिन कोई भी खूब रोता। इतनी बड़ी हो गई, अभी तक चरित्र पर किसी ने एक शब्द नहीं कहा। उस दिन जो सुना..."फिर उसने भावाविष्ट स्वर में कहा कि जिस दिन समर ने उसके चरित्र पर संदेह किया तो उस दिन वह ज़हर खा लेगी।
प्रभा ने समर को अपने विद्यार्थी जीवन की बहुत सारी बातें बताई। प्रभा ने कहा कि वह अपनी कक्षा की सबसे शैतान लड़की थी। वह और
उसकी दोस्त सोचती थीं कि वे शादी
नहीं करेंगी। गाँव-गाँव जाकर स्त्रियों को पढ़ाएँगी। सारे हिन्दुस्तान का पैदल "टूर" करेंगी।
नए-नए गाँवों, शहरों में तरह-तरह के लोग मिलेंगे।
गुंडे-बदमाशों या जंगली जानवरों से अपनी रक्षा के लिए हम लोग लाठी और छुरी चलाना सीखने की योजनाएँ बनातीं।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि समर ने प्रभा से कई प्रश्न किए जिसका जवाब प्रभा ने दिल से दिया। समर को अपनी गलती का एहसास हो गया था और उनदोनों के बीच दाम्पत्य जीवन की मधुर शुरुआत हो चुकी थी।